भदोही। शुभ कार्यों का अक्षय फल देने वाला अक्षय तृतीया का त्यौहार 10 मई को मनाया जाएगा। अक्षय तृतीया पर्व पर ग्रहों के उच्च चंद्रमा एवं गुरु के कारण इस वर्ष गजकेशरी योग बन रहा है।
आचार्य पंडित दीनदयाल शुक्ला ने बताया कि इस वर्ष मेंष राशि और चंद्रमा वृष राशि में रहेंगे मतलब दोनों अपने उच्च राशि में रहेंगे, इस दिन उपासना एवं अच्छे कार्यों का पूर्ण क्षय नहीं होता। अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो, इस तिथि पर किसी भी शुभ कार्य और मांगलिक कार्य को करने के लिए मुहूर्त का विचार नहीं करना पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ पर्व पर किया जाने वाला दान पूण्य, पूजा, पाठ ,जप तप और शुभ कर्म पर मिलने वाले फलों में कभी कमी नहीं होती। इस दिन सोने के गहने खरीदने और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। काशी से प्रकाशित महावीर पंचांग के अनुसार वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत प्रातः 4 बजकर 37 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 11 मई को सुबह 4 बजकर 11 मिनट पर होगा। उदय तिथि के आधार पर अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई को मनाया जाएगा। आचार्य पंडित शुक्ल ने बताया कि अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। सुबह 5 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। अक्षय तृतीया सर्व सिद्ध मुहूर्त में से एक मुहूर्त है इस दिन मां लक्ष्मी एवं भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष महत्व होता है





