वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व चेयरमैन अल्पसंख्यक कांग्रेस भदोही मुशीर इक़बाल ने प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति मे वक्फ कानून में संशोधन पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहाकि वक्फ कानून संशोधन असंवैधानिक है सरकार वापस ले यह कानून !
भारतीय संविधान अनुच्छेद 29 के तहत अल्पसंख्यकों को उनकी संस्कृति, शिक्षा और संपत्ति की सुरक्षा की गारंटी देता है। यह एक ऐसा मौलिक अधिकार है, जो हमें हमारे धर्म और पहचान के साथ जीने का अधिकार देता है। लेकिन नया वक्फ बोर्ड बिल इस संवैधानिक अधिकार का खुला उल्लंघन करता है।
वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर हमला है
जब सिख और ईसाई समुदायों के बोर्ड में किसी अन्य धर्म के व्यक्ति को सदस्य बनने की अनुमति नहीं है, तो फिर वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को अनिवार्य रूप से शामिल करने का क्या औचित्य है? यह स्पष्ट रूप से वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करने की कोशिश है। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति भी सरकार द्वारा की जाएगी, जिससे वक्फ बोर्ड पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में आ जाएगा। उन्होने कहाकि
1)वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा खतरे में
इस नए कानून के अनुसार, कोई भी संपत्ति तभी वक्फ की मानी जाएगी, जब वह विवादित न हो। यदि कोई व्यक्ति किसी वक्फ संपत्ति पर दावा कर दे या उसे विवादित घोषित कर दे, तो वह संपत्ति वक्फ बोर्ड की नहीं रहेगी, जब तक कि उसकी जांच पूरी न हो जाए। और ध्यान देने वाली बात यह है कि इस जांच की कोई समय सीमा तय नहीं की गई है!
उन्होने कहाकि
2)सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाने की साजिश है।
जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों से जुड़े निर्णय लेने का अधिकार देना शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धांत का उल्लंघन है। कलेक्टर, जो कार्यपालिका का हिस्सा है, उसे न्यायिक अधिकार देना संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ जाता है।
3) वक्फ की संपत्तियों को हड़पने की साजिश
नए कानून के अनुसार, यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ में दर्ज है, तो अब वह वक्फ की नहीं रहेगी। इसका मतलब यह हुआ कि यदि सरकार चाहती है, तो किसी भी वक्फ संपत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित करके उसे वक्फ बोर्ड से छीन सकती है।
4) नए कानून का असली मकसद
इस कानून का मकसद साफ है – वक्फ बोर्ड को कमजोर करना, मुसलमानों की संपत्तियों को विवादित बनाकर सरकार के नियंत्रण में लेना, और वक्फ की स्वायत्तता को खत्म करना। यह कानून न केवल अनुच्छेद 29 का उल्लंघन है, बल्कि यह मुस्लिम समाज की संपत्तियों को हड़पने का एक जरिया मात्र बनकर रह जाएगा।
उन्होने कहाकि
इस कानून के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठानी होगी। यह सिर्फ वक्फ बोर्ड का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारे संवैधानिक अधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और हमारी विरासत की सुरक्षा का सवाल है। अगर आज हम चुप रहे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें कभी माफ नहीं करेंगी। उन्होने कहाकि इसके लिए जल्द आन्दोलन शुरू किया जायेगा





