अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है काशी नरेश द्वारा बनवाया गया बावन बीघा तालाब
बावन बिघये में बना यह ऐतिहासिक तालाब कुछ बिघये में सिमट कर रह गया
सुरियावां।। सुरियावां क्षेत्र का बहु चर्चित प्राचीन एवं ऐतिहासिक तालाब जिक्र करने जा रहे हैं जिसका निर्माण आज से लगभग दो सौ वर्ष पहले तत्कालीन काशी नरेश ने कराया था। हालांकि काशी राजघराने के तमाम राजा अपने समय समय पर कई तालाबों, बावड़ियों और कुओं का निर्माण कराया था। मगर जिस तालाब की हम चर्चा कर रहे हैं वह उन सभी तालाबों में से कुछ खास है। भदोही जिले के सुरियावा नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत यह तालाब 52 बीघा तालाब के नाम से प्रसिद्ध है बताया जाता है कि इस तालाब का निर्माण तत्कालीन काशी नरेश ने जनहित को ध्यान में रखते हुए बावन बीघे की जमीन पर करवाया था। जिसकी सुंदरता और साज सज्जा अपने समय में अद्वितीय था। लोगों के अनुसार प्राचीन समय में आसपास के लोगों और पशु पक्षियों के लिए यह विशाल जलाशय के जल का एकमात्र साधन था वही वर्तमान समय की बात करें तो बावन बिघये में फैला हुआ यह विशालकाय तालाबह अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करता दिख रहा है जिला प्रशासन की उदासीनता और भर लापरवाही के कारण प्रचंड गर्मी के इस मौसम में आज इस तालाब में पानी की एक-एक बूंद तक नहीं है। जिससे पशु पक्षी भी अपनी प्यास बुझा सके। तालाब के एक तरफ पक्के घाट बनाए गए हैं लोग स्नान आदि करते थे । स्नान करने के बाद तालाब के भीटे पर बने हनुमान मंदिर पर लोग जल चढ़ाते थे। पर यह अब बीती बात हो गई है। शासन प्रशासन नए-नए तालाबों को निर्माण में जिम्मेदारों द्वारा करोड़ों रुपए सरकारी धन का बंदर बांट कर लिया जा रहा है मगर बावजूद इसके उन तालाबों की स्थिति भी दयनिय है। 52 बीघा तालाब के क्षेत्रफल की बात करें तो जिला प्रशासन की लापरवाहियों और खाऊ कमाऊ नीति के कारण आज यह तालाब कुछ बिगहे में सिमट कर रह गया है। एक अनुमान के अनुसार यह प्राचीन और ऐतिहासिक तालाब आधे से अधिक हिस्से पर अतिक्रमण का शिकार हो चुका है। सवाल यह है कि क्या काशी नरेश द्वारा बनवाया गया यह प्राचीन और ऐतिहासिक तालाब इसी तरह अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते हुए समाप्त हो जाएगा। कुंभकरण की नींद में सोते हुए जिला प्रशासन के जिम्मेदारों की दया दृष्टि आपकी इस दिशा में कब पड़ेगी।





