शबे कद्र की रात हुफ्फाज़ो ने पढ़ा क़ुरआने पाक को मुकम्मल
हुफ्फाज़ो के सर इमामा शरीफ बांध कर आरिफ सिद्दीकी, मुशीर इकबाल व जमील अंसारी नेता ने की हौसला अफजाई
शबे कद्र की रात हुफ्फाज़ो की अंजुमन में आरिफ सिद्दीकी, मुशीर इकबाल व जमील अहमद नेता, निर्यातक आरिफ अंसारी, तौसीफ अंसारी सहित पत्रकारों का हुआ रस्मे इमामा शरीफ
भदोही। रमज़ान शरीफ की 29वीं शब, शबे क़द्र की रात सबीना की विशेष नमाज़ मोहल्ला जमुंद अल अक्सा कुजराने वाली मस्जिद में अदा की गयी जिसमे हुफ़्फ़ाज़-ए-कराम ने पूरी रात खड़े होकर अपने रब की बारगाह मे क़ुरआने हकीम को पढ़ा। वहीं सपा प्रदेश सचिव आरिफ सिद्दीकी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मुशीर इकबाल व निर्यातक आरिफ अंसारी, तौसीफ अंसारी जमील अहमद नेता हुफ्फाज़ो की अंजुमन में बैठ कर फैज़ियाब हो रहे थे। वहीं हाफिजों ने आरिफ सिद्दीकी, मुशीर इकबाल व आरिफ अंसारी, तौसीफ अंसारी, जमील अहमद नेता को दुआओं से नवाजते हुए अमन और शान्ति का पैकर बताते हुए एमामा शरीफ बांधा तो श्री सिद्दीकी, श्री इकबाल व श्री अंसारी के आँखों से आंसू छलक पड़े और यह फख्र करने लगे की अल्लाह ने हमें हाफ़िज़े क़ुरआन के हाथो एमामा शरीफ बंधवा कर हूफ्फ़ाज़ो की अंजुमन मे बैठने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाई। श्री सिद्दीकी, श्री इकबाल व श्री अंसारी के दिल मे यही बातें मौजें मार रही थी की ऐ मेरे अहकमुल हाकेमीन हमें ये मौक़ा बार-बार मिले और मैं हूफ्फाज़-ए-कराम की अंजुमन मे बैठने का शरफ हासिल करता रहूं। श्री सिद्दीकी,श्री इकबाल व श्री अंसारी एक तरफ ये फख्र कर रहे थे की अल्लाह ने मेरे शहर मे अनगिनत हाफिज़े क़ुरआन पैदा किया है तो दूसरी तरफ हुफ़्फ़ाज़-ए-कराम के ख़िदमत करने का जज़्बा बेक़रार कर रहा था। उन्होंने कहा दुनिया में जिसने आलिमे दिन व हाफिज़े क़ुरआन की ख़िदमत की और उनके साथ बैठा तो कल मैदाने महशर में परवरदिगार इन्हें इतना अख्तियार देगा की जो शख्स इनके साथ रहने वाले या ख़िदमत करने वाले होंगे वे सभी लोग हुफ्फ़ाज़-ए-कराम की जमाअतो में शामिल नज़र आएंगे बल्कि ये हाफिज़े क़ुरआन उन्हें भी जन्नत मे ले जाने के लिए परवरदिगार से पुकार उठेंगे और कहेंगे ऐ मेरे रब दुनिया मे ये शख्स हूफ्फाजो के संग बैठ कर ख़िदमत किया करते रहे। ऐ रब्बे क़ायनात इन्हें तू मेरे साथ जन्नत मे जाने दे। बेशक परवरदिगार हूफ्फ़ाज़ों के संग उस शख्स को जन्नत मे दाखिल फरमा देगा। इस मौके पर उस्तादुल हूफ्फाज़ काजी-ए-शहर अल्हाज हाफ़िज़ परवेज उर्फ अच्छे मियां, उस्तादुल हुफ्फाज हाफिज अशफाक रब्बानी, मौलाना हाफिज मआज़ अशरफी, मौलाना हाफिज अरफ़ात हुसैन अशरफी, हाफिज अली रजा, हाफ़िज़ आबिद हुसैन, हाफ़िज़ शाह आलम, हाफिज रइस, हाफिज अब्दुल्लाह, हाफ़िज़ अब्दुल माबूद, हाफ़िज़ दानिश, हाफ़िज़ इमरान, हाफिज अल्तमश, हाफिज रिज़वान, हाफिज शहजाद, हाफिज अनस, हाफिज अयान, हफीज नुरैन, हाजी शहजादे खां, अनीस खां, हाजी मुमताज़ अहमद राइन, हाजी अब्दुल मजीद मंसूरी, हैदर अली राईन, रियाज़ उर्फ लल्लन खां, शकील खां, तनवीर खां, मुस्तफ़ा उर्फ कल्लू खां, अब्दुल हक खां इसी तरह हुफ़्फ़ाज-ए-कराम के हांथो पत्रकार हाजी आज़ाद खां बापू, पत्रकार शहनवाज खां, मिस्बाह खां, खुर्शीद खां, आफताब अंसारी, सैफ खां आदि के सर पर इमामा शरीफ बांध कर इज्जत बख्शी गई। मोहल्ले के बड़े बुजुर्ग व हमउम्र तथा प्यारे-प्यारे बच्चे रहे जिनमे सैयद नासिर हुसैन, सभासद पति लाल मोहम्मद लाऊ खां, बेलाल खां, जुनेद खां, इश्तियाक अंसारी, इलियास खां, इरशाद अंसारी, अकबर अली बल्ला, बाबू राईन, नूर मोहम्मद, तालिब खां, अरशद अंसारी, ताहिर अंसारी, फैसल अंसारी, लारैब खां, दानिश उर्फ विक्की खां आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।





