उत्तर प्रदेश

…… तो देश के खजाने को डालर से भरेंगे जिला जेल के बंदी

…… तो देश के खजाने को डालर से भरेंगे जिला जेल के बंदी

नागेंद्र सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में भदोही जिला जेल के कैदी अपराध जगत से विमुख होकर अब निर्यात उद्योग से जुड़कर देश के खजाने को डालर से भरेंगे। सरकार का वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना का प्रयोग सफल रहा तो जेल बंदियों को कालीन के हुनर से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कवायदें जल्द रंग लाएगी।
जेल अधीक्षक अभिषेक कुमार सिंह ने बताया कि बंदी सुधार गृह (जिला जेल) भदोही में एक जिला एक उत्पाद(वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) का प्रयोग बेहद सफल होता दिखाई पड़ रहा है, जहां जेल बंदियों के जीवन स्तर में सामाजिक, नैतिक व आर्थिक सुधार के लिए अनुकरणीय प्रयास किए जा रहे हैं। जिला जेल के बंदियों को कालीन उद्योग की बारीकियां का प्रशिक्षण देकर उन्हें कुशल बुनकर बनाकर उनकी दशा व दिशा बदलने की कवायदें शुरू कर दी गई हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की वन डिस्टिक वन प्रोडक्ट योजना जिले में लगभग 2 वर्ष पहले लागू की गई थी, जो आज की स्थिति में बेहद सफल होती दिखाई पड़ रही है। योजना के तहत जेल में निरुद्ध बंदियों को उनकी इच्छा के अनुरूप कालीन बुनाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। स्वाभिमान से जीने के लिए बंदियों को कालीन, आसन, कैरी बैग, गौरैया के लकड़ी के घोसले व वॉल हैंगिंग जैसे अन्य सामान आदि बनाने की बारीकियों के गुर सीखाकर उनकी दशा व दिशा बदलने की कवायत शुरू की गई है। योजना लागू होने के बाद लगभग 100 बंदियों को प्रतिदिन रोजगार मिल रहा है। इस अवधि में बंदियों ने 20 लाख रुपए से अधिक की आय अर्जित की इसी तरह कैरी बैग वॉल हैंगिंग व गौरैया के घोंसले बनाकर भी कमाई की गई।
उन्होंने बताया कि एक जनपद एक उत्पाद के तहत जिले को चयनित करने के बाद जिला जेल में 2 साल पहले कारखाना खुला था। जिला उद्योग केंद्र ने बंदियों को प्रतिशत दिलाया और काम शुरू हुआ। दो दर्जन से अधिक बंदी नियमित रूप से कालीनों की बुनाई कार्य में जुड़े हैं, लेकिन ऊंन की लच्छी खोलना, गोला बनाना, कालीन का ताना बनाना, इसकी साफ सफाई, डिजाइन व क्लिपिंग जैसे कार्यों से पांच दर्जन से अधिक बंदी जुड़े हैं, जो 7 से 8 हजार रूपए प्रति महीने की कमाई कर लेते हैं। जेल प्रशासन द्वारा बंदियों की मजदूरी को उनके आधार लिंक्ड खातों में भेज दिया जाता है जो पैसा उनके परिवार के खर्च के काम आता है। बंदियों को हुनर से जोड़कर उनके रोजगार सृजन व कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी जेल प्रशासन के साथ जिला उद्योग केंद्र को सौंपी गई है।
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों अक्टूबर माह में भदोही के कारपेट एक्स्पो मार्ट में आयोजित इंडिया कारपेट एक्सपो-2024 में जेल के बनाए गए कालीन उत्पाद स्टाल लगाकर प्रदर्शित किए गए। जिसमें बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं। माना जा रहा है कि जेल से निकलने के बाद बंदी कालीन कारोबार से जुड़कर उत्पादन से निर्यात तक का सफर आसानी से पूरा कर सकते हैं।

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