उत्तर प्रदेश

भरतीय संस्कृति के उदात्त आदर्शों पर चलने वाले ही सच्चे सनातनी हिन्दू हैं—- संत बाबूराम

भरतीय संस्कृति के उदात्त आदर्शों पर चलने वाले ही सच्चे सनातनी हिन्दू हैं—- संत बाबूराम

गोपीगंज (भदोही) मांसाहार और शराब गर्म मिजाज भोजन है।यही दोनो दुर्व्यसन विभिन्न अपराधों,कदाचार की घटनाओं, नैतिक पतन के कारण हैं। हिंसा से दूर रहे,जिसमें प्रेम,दया,सेवाभाव,रहम हो वही असली हिन्दू है।भगवान की पूजा करने वाले लोगों को शुद्ध शाकाहारी ओर नशामुक्त होना चाहिए।अशुद्ध आहार से जीवात्मा भी दूषित हो जाती है।गन्दे स्थान पर परमात्मा कभी नहीं उतर सकता।चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी है। चरित्र उत्थान एवं अच्छे समाज का निर्माण करना वर्तमान की सबसे बड़ी मांग है।”

यह उद्‌गार है परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज द्वारा संस्थापित जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था,मथुरा के राष्ट्रीय महामन्त्री बाबूराम के हैl जयगुरुदेव आश्रम,चकपड़ौना में आयोजित सत्संग समारोह में पत्र प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुए कहा कि देशी कहावत है,”जैसा खावै अन्न,वैसा होवै मन।” इन्सान जब पशु प्रवृत्ति आहार करेगा तो उसका बुद्धि स्वतः पशुवत् हो जायेगी। चित्त चंचल स्वभाव क्रोधी व्यवहार संघर्षमय हो जायेगा। इस तामसी आहार से तामसी बुद्धि होगी।शाकाहार ठण्ड मिजाज भोजन है। इससे मानवीय प्रेम,सेवा सहयोग, परोपकार की भावना, सहनशीलता,मानव धर्म,मानव कर्म के गुण विकसित होते हैं। उन्होंने कहा कि देव दुर्लभ मानव तन परमात्मा को जीते जी पाने के लिए दिया जाता है। इसमें शुद्धि सफाई रखो। किसी पशु पक्षी का मांस मुर्दा इस पेट को श्मशान घाट बनाकर मत डालो। न ही किसी बुद्धिनाशक मादक द्रव्यों का सेवन करो।
संस्था के राष्ट्रीय उपदेशक ने कहा कि भरतीय संस्कृति के उदात्त आदर्शों पर चलने वाले ही सच्चे सनातनी हिन्दू हैं। हम प्रभु श्रीराम,श्री कृष्ण आदि देवी देवताओं को मानते हैं तो हमें उनके द्वारा बताये गये उपदेशों पर भी चलना चाहिए। प्रभु राम ने कभी नही कहा कि तुम पशु पक्षियों का मांस खाओ या श्री कृष्ण ने कभी नहीं कहा कि शराब पियो। रामायण में तो पवित्र गंगाजल द्वारा निर्मित शराब को पीने की मनाही की गई है। “सुरसरि जल कृत बारूणि जाना।ता कॅह कबहुँ करै नहिं पाना।” यदि हम मांस और शराब पी कर पूजा करने जायेंगे तो हमारी पूजा भगवान स्वीकार नहीं करेगा। नाराज अलग से होगा। बुरे कर्मो की सजा देगा फिर रोते पछताते नही बनेगा।

संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय संस्कृति के आदर्शों को आचरण में उतारने की जरूरत है। अपने उच्च विचारों, आदर्शों एवं मानवतावादी चिन्तन के कारण ही समूचे विश्व का गुरु भारतवर्ष था। फिर से विश्व गुरु बनाना है तो हमे सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलना होगा।
सेवा,मानव प्रेम,परोपकार,दया, करूणा जैसे मानवीय गुणों का विकास करना होगा।उन्होंने चरित्र को मानव धर्म की सबसे बड़ी पूँजी कहा और चरित्र उत्थान, नैतिक उत्थान,अच्छे संस्कार जगाने की प्रेरणा दी। नयी पीढ़ी के नवजवानों को खराब खान-पान से बचने का आह्वान किया।

बाबा जयगुरुदेव के टाटधारी भक्त ने कहा कि जयगुरुदेव नाम वक्त का जगाया हुआ नाम है। जैसे कबीर साहब नाम, नानक जी ने साहेव गुरु नाम, गुरुगोविन्द ने सत्त श्री अकाल नाम, सूरदास ने श्याम नाम, मीराबाई ने गिरधर नाम, गोस्वामी जी ने राम नाम का प्रचार किया ठीक उसी प्रकार मेरे गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम को जगाया और सिद्ध किया है। यह ऐसा शक्तिशाली और आत्मकल्याणकारी नाम है कि हर मुसीबत में मददगार है।

उन्होंने आगामी 19 जुलाई से 23 जुलाई 2024 तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में आयोजित जयगुरुदेव गुरु पूर्णिमा महापर्व में भाग लेने का निमन्त्रण दिया। इस मौके पर प्रेमशंकर मौर्य,जगदीश चन्द्र श्रीवास्तव,रमाशंकर,गुलाब,बबलू व संगत के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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