भदोही में मानसूनी बारिश की बेरुखी से जिले के डार्क जोन में जाने का बढ़ा खतरा
भदोही जिले में मानसूनी बारिश में आ रही तेजी से गिरावट के कारण सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है। तेजी से नीचे खिसकते भूजल को गंभीरता से नहीं लिया गया तो जनपद को डार्क जोन में जाने का खतरा बढ़ सकता है।
मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त पिछले लगभग तीन वर्षों के मानसूनी बारिश के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक रही है। जून, जुलाई व अगस्त के महीनों में जहां झमाझम बारिश होनी चाहिए इन महीनों में भी मनरेगा तालाब से लेकर ताल-तलैय्या बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते नजर आए।
भदोही जिले में प्रतिवर्ष न्यूनतम 950 मिली मीटर मानसूनी बारिश का आंकड़ा निर्धारित किया गया है। जिसके सापेक्ष 2022 में मात्र 627 मिली मीटर यानी 34% कम बारिश हुई है। इसी तरह 2023 में 679 मिली मीटर यानी 28.53% कम बारिश तथा 2024 में सबसे कम 613 मिली मीटर बारिश हुई जो निर्धारित मानक से 35.47% कम है।
बारिश कम होने से भूजल में सुरक्षित पेय जलस्तर तेजी से नीचे खिसकता जा रहा है। भूजल स्टेटस को बनाए रखने के लिए शासन स्तर से जिले में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) के तहत लगभग 700 तालाबों की खुदाई कर जल भराव के लिए तैयार किया गया था, तथा डेढ़ से दो हजार सरकारी व गैर-सरकारी भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए गए हैं जो बारिश न होने से शोपीस बनकर रह गए हैं।
जून, जुलाई व अगस्त जैसे मानसूनी बारिश के पिक महीनों में भी मनरेगा व निजी तालाब बूंद-बूंद पानी के लिए तरसते नजर आए। जिले की सीमा से होकर गुजरने वाली गंगा नदी की तीन सहायक नदियों वरुणा, वसुही व मोरवा में भी वर्षा काल में भी भरपूर पानी का बहाव सुनिश्चित नहीं हो सका।
अधिशासी अभियंता नलकूप ने बताया कि जिले में कुल 605 राजकीय नलकूप लगाए गए हैं जिनमें लगभग
15 से 20 फीसदी पूरी तरह सूख चुके हैं। सूत्रों की मानें तो जलापूर्ति एवं सिंचाई के लिए निजी स्तर पर जिले में 8 से 10 हजार पंपसेट व जेट पंप लगे हैं जिनसे काफी हद तक भूजल का दोहन हो रहा है। बेतरतीब ढंग से हो रहे पानी के दोहन से जिले में भूगर्भ में सुरक्षित पेयजल 15 से 20 फीट नीचे खिसक चुका है। भूजल स्तर खिसकने से निजी नलकूपों व हैंडपंपों में अधिकांश फीसद सूख चुके हैं। जिससे पेयजल संकट गहराता जा रहा है। अगर आगामी कुछ वर्षों में मौसमी बारिश के ऐसे ही हालात बने रहे तो जिले के डार्क जोन में जाने का खतरा बढ़ने के साथ पेयजल का संकट गहरा सकता है।





