उस हौंसले को प्रणाम जिसने अकेले दम पर शुरू की विकास यात्रा
भदोही। मैं अकेला चला था जानिबे मंजिल मगर, लोग जुड़ते गए और कारवां… ये पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं, अजय राय पर जिन्होंने अकेले अपनी हिम्मत और हौसले के बल पर जिले के विकास की एक नई इबारत लिखने को बेकरारी दिखाई है।
30 जून 1994 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने भदोही जनपद की नींव रखी थी। लेकिन आधारभूत सुविधाओं का टोटा रहा जिला तो बन गया लेकिन मुख्यालय नदारद। अस्थाई रूप से ज्ञानपुर को जिला मुख्यालय बनाया गया व 2 सितंबर 1997 को तत्कालिक मुख्यमंत्री सुश्री मायावती ने मुंसीलाटपुर में मुख्यालय का शिलान्यास किया किंतु कतिपय कारणों से जिला मुख्यालय सरपतहां में बन गया। जनपद सृजन के बाद भी जिला कई आधारभूत सुविधाओं से महरूम रहा। जिले में यातायात व्यवस्था के नाम पर डग्गामार वाहनों का ही बोलबाला था। समय बदलता रहा पर अव्यवस्थाएं जस की तस बनी रहीं। इन सब अव्यवस्थाओं की पीड़ा से विश्व हिंदू परिषद गोरक्षा के जिला अध्यक्ष अजय राय पीड़ित रहे। उचित अवसर देखकर उन्होंने रोडवेज डिपो के लिए प्रयास शुरू किया। उनका प्रयास धीरे-धीरे रंग लाया जब उनके अथक प्रयास से भदोही जनपद को रोडवेज डिपो से आच्छादित करने का स्वप्न जल्द ही हकीकत में बदलने की कवायद शुरू कर दी गई। अब वह दिन दूर नहीं जबकि जब भदोही ज्ञानपुर मुख्य मार्ग स्थित मुंसीलाटपुर में डिपो की स्थापना हो जाएगी। इतना ही नहीं लोगों की स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी के लिए मुंसीलाटपुर में ही आयुष अस्पताल के स्थापना का भी मार्ग प्रशस्त कराया। कहा जाता है कि हौंसले बुलंद हों तो व्यक्ति का सांसद अथवा विधायक होना जरूरी नहीं। हौंसले की बुलंदी के चलते अजय राय ने जो भी संकल्प लिया उसे पूरा करके ही दम लिया।
बताते चलें कि विश्व हिंदू परिषद गौरक्षा के जिला अध्यक्ष के रूप में गौ माता की सेवा में उल्लेखनीय योगदान के लिए ही उन्हें दो बार काशी प्रांत के अध्यक्ष पद पर आसीन किया गया। गो सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जिला प्रशासन द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।





