नागेंद्र सिंह की रिपोर्ट
भदोही। इमारती लकड़ी की खेती से पूर्वांचल के किसानों की आर्थिक सेहत सुधारने की कवायदें शुरू हो गई हैं। वन विभाग पहली बार जिले मे 50 हजार महागोनी की पौधा रोपित कर किसानों में वितरित करने की तैयारी में जुट गया है। योजना का विस्तार उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के सभी जनपदों में शुरू करने की रणनीति बनाई गई है।
प्रभागीय वनाधिकारी नीरज आर्य ने बताया कि इस वर्ष पहली बार 50 हजार महागोनी पौधा लगाने की तैयारी चल रही है। नर्सरी में तैयार होने वाले इस पौधे को जिले भर में रोपित कराया जाएगा। महागोनी किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही कई जिम्मेदारियों को पूर्ण करने में भी सहायक है। दस से पंद्रह वर्ष में किसानों को इस इमारती लकड़ी से अच्छा बजट मिलेगा। इस बजट से कृषकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। कम लागत और कम समय में यह इमारती लकड़ी अच्छा मुनाफा देती है। अब पूर्वांचल में महागोनी लकड़ी की विशेष पहचान होगी।
बेटी पैदा होने के पांच वर्ष बाद भी किसान महागोनी पौधा रोपित करते हैं तो दस से पंद्रह वर्ष बाद मजबूत आर्थिक मदद मिल सकती है।
उन्होंने ने बताया कि महागोनी की लकड़ी मजबूत होने के साथ बाजार में अच्छी कीमत में बिकती है। जिससे घर बैठे मजबूत बजट मिल जाता है। इस बजट से किसान आसानी से अपनी बेटियों के हाथ पीला कर सकते हैं। बताया कि महागोनी का पौधा खेत की मेड़ पर लगाया जाता है। जिसमें न तो कृषि योग्य भूमि ही नष्ट होती है न ही इसकी छाया से खेत में बोई गई फसल पर किसी तरह का विपरीत प्रभाव पड़ता है। यह पौधा लगाया जाता है तो बरसात के दिन में मेड़ की मिट्टी कटान भी रूक जाती है। जिले में पहली बार 50 हजार पौधा रोपित करने की तैयारी चल रही है। पूर्वांचल में महागोनी का पौधा कम ही रोपित होता है। ऐसे में कालीन नगरी में 50 हजार पौधा तैयार हुआ तो पूर्वांचल समेत कई प्रदेशों में इसकी मांग बढ़ जाएगी





