उत्तर प्रदेश

खुद के हितों को ताकत पर रखकर सेवा से मिलता है आत्मसंतोष

खुद के हितों को ताकत पर रखकर सेवा से मिलता है आत्मसंतोष

भदोही। जीवंत सेवाभाव व समर्पण के साथ आगे बढ़ने वाले व्यक्ति को समाज सर आंखों पर बिठाकर रखता है। लूट-खसोट की उठा-पटक व तीखी महत्वाकांक्षाओं से विरत दुनियां में तमाम ऐसे लोग भी हैं, जो खुद के हितों को ताक पर रखकर कर्तव्य पालन व समाज सेवा के कार्यों में ही आत्म संतोष महसूस करते हैं।
जी यहां बात हो रही है डॉक्टर रामजीत भारती की। जो भदोही विकासखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मई हरदोपट्टी के चिकित्सा प्रभारी हैं। जिन्होंने पदभार ग्रहण करते ही शायद स्वास्थ्य केंद्र के उद्धार व उत्कृष्ट मरीज सेवा का संकल्प लें लिया था। केंद्र पर अपनी तैनाती के लगभग डेढ़ वर्ष की अवधि में ही उन्होंने ने अस्पताल की लचर स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार करते हुए व्यवस्था में कायाकल्प करने का सफल प्रयास किया है।
बताते चलें कि सुदूर ग्रामीण अंचल में अवस्थित इस स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी जहां औसतन 30-40 के बीच बमुश्किल हुआ करती थी आज वह लगभग सौ मरीज डेली की दर से पहुंच चुकी है। कहा जाता है कि अगर चिकित्सक मधुरभाषी होकर मरीज के साथ सकारात्मक व्यवहार रखता है तो आधा रोग तो आत्मबल बढ़ने से ही नियंत्रित हो जाता है। रही बात इलाज की तो उपयुक्त दवाएं रोगी के बढ़े आत्मबल के कारण गुणोत्तर स्थिति में काम करती है।
समय का एक दौर हुआ करता था जब ग्रामीण अंचल के दूर दराज के क्षेत्रों से पहुंचे गरीब व असहाय मरीजों को पर्याप्त दवाएं केंद्र पर नहीं मिल पाती थी। जिससे अस्पताल पहुंचने के बाद मरीज खुदको कोंसते हुए निराश होकर न सिर्फ वापस लौट जाता था बल्कि सरकार की लचर चिकित्सा प्रणाली को मन ही मन गाली भी देता था। बदले परिवेश में अस्पताल में पर्याप्त दवाएं उपलब्ध हैं। सूत्रों की मानें तो मरीजों को किसी तरह की दिक्कत न हो चिकित्सा प्रभारी खुद अपनी जेब से ट्रांसपोर्टेशन खर्च कर मुख्यालय से दवाएं मंगाकर मरीजों के बीच वितरित करते हैं। आज हालात ऐसे हैं कि अस्पताल पर जहां पर्याप्त दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता है वहीं टाइफाइड, मलेरिया, ब्लड प्रेशर व शुगर आदि जैसी छोटी-मोटी जांच की भी व्यवस्था अस्पताल पर उपलब्ध है। जिसके कारण मरीजों को काफी राहत मिली है। अब उन्हें जांच के लिए न तो जेब से मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है और न ही जांच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।
पूर्व ग्राम प्रधान रामबली यादवने बताया कि विभागीय स्तर से बजट न मिलने के बाद भी चिकित्सा प्रभारी ने अस्पताल सहित आवासीय भवनों का खुद की जेब खाली कर मरम्मत कार्य कराया है। अस्पताल परिसर में विभागीय स्तर से लगा सबमर्सिबल पंप चोरी हो गया था जिससे मरीज को शुद्ध पेयजल के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था प्रभारी ने अपने खर्चे से सबमर्सिबल पंप डलवाकर मरीजों की पेयजल की समस्या का स्थाई समाधान किया है। लोगों का मानना है कि सरकारी विभागों में कार्यरत हर कर्मचारी इस तरह की मानसिकता के साथ नौकरी करते हुए सेवा भाव से आगे बढ़े तो व्यवस्था में चमत्कारिक सुधार होने के साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय होगा।

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